Friday, April 3, 2015

मेरे शब्द में तुम साई

शब्दों की रिमझिम रिमझिम बारिश हो
और उसमे नजर आये श्रद्धा का इंद्रधनुष
और पढ़के होगा अपार हर्ष
जब संग में सबूरी करेगा मानुष

मान ले साईं आज तू मेरा इतना कहना
मैं तो बस चाहु तेरे ही दिल में रहना
बना लू तुझको मैं अपना दिलबर
तभी आएगा मेरे दिल को चैना

चैन को भी चैन न आये
बिन बादल भी आँखों में रैन आये
जब साईं की याद आये
नैन भी मेरे चैन न पाए

मेरे शब्दों के सागर में साईं होकर विराजमान
दे रहे आज हम सब भक्तो को वरदान
कि जीवन में खुश रहो और बनो नेक इन्सान
उंच नीच गरीब अमीर सबको समझो समान

राजा हो या रंक हो सब तेरे दर पर समान
निर्धन हो या सबल हो या निर्धन या धनवान
सबके लिए तो साईं तू ही है भगवान
तेरी रहमत पाने का अधिकार रखे हर इंसान ।।

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