Friday, April 3, 2015

मेरी आँखों में साई बसा

साई आओ मेरे घर बनके तुम अतिथि
स्वीकार करूँ मैं आपका आतिथ्य
आपकी लीला मैं देखना चाहूँ इन चक्षु से
साई आपकी लीला है सबसे अद्वितीय

साई तू बसा है मेरे इन चक्षु
जब भी आँखों से निकले आंसू
उन आँसू में तू ही नजर आये
मेरा हर आँसू खुद को बड़ा धन्य पाये

बाबा इन आँखो ने देखे है
जीवन में केवल पाप ही पाप
सारे पाप धुले आँखे हुई पावन
जब आँखों में साई बस गये आके आप

दिल में मेरे साई तेरा ही वास है
तुझे बहुत प्रेम करता तेरा ये दास है
मेरा प्रेम स्वीकार करना न करना तेरी मर्जी
मैने तो तेरे चरणों में लगा दी है अपनी अर्जी

साई मुझे है तुझ पर अटूट विश्वास
कभी तो तू बनाएगा इस
अदने को तेरा बन्दा ख़ास
पर न देना तू मुझे कभी ऊँचाई
बस बनाके रखना मुझे तेरा दास
अहंकार का हो जाए इक पल में नाश
बस मेरे साई मैं करता तुझसे इतनी अरदास
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