Saturday, January 16, 2016

सुनो पुकार.....हे साँई

घबराया मन और टूटती साँसे
बिखरे लफ़्ज और गम के साये
कुछ यूह हो गया है मेरा हाल
अपनी पहचान खो रहा हूँ अब मैं
लग रहा कि नजदीक मेरा मृत्यु काल
बाबा साँई तुम ही मेरे परम् सखा हो
तुमको माना है मैंने अपना संसार
अब देर न लगाओ आने में प्रभु
इस मुश्किल भरे जीवन से गया मैं हार
बाबा साँई तुमने सदा मुझे सम्भाला है
तुम्हारी लीलाओ का है मुझे इतंजार
फिर से कोई लीला रच दो तुम कि
दुःख भरे जीवन में लौटे फिर से बहार

Tuesday, January 12, 2016

इक गुजारिश

बाबा साँई तुमसे बस है इतनी सी गुजारिश
हम सब पर करो तुम रहमतो की बारिश
भर भर उडेलो तुम हम पर अपना प्यार
तुम्हारा प्यार पा हमारे जीवन में आये सद्व्यवहार
सद्व्यवहार से हमारा तन मन महके चन्दन सा
तुम्हारे सुमिरन में लगा दे हम हर क्षण जीवन का
क्षण वो भाग्यशाली होगा जब दोगे तुम दर्शन
तुम्हारे दर्शन करके हम पापी बन जायेंगे सज्जन
सज्जन बने हम और अपनाये विनम्र आचरण
सब जनो के प्रति दिखाए हम अपनापन
अपना सब कुछ तुम पर करके हम न्यौछावर
बाबा तेरी शरण पाने का चाहे हम तुझसे वर

जहाज का पँछी

कहते हैं कि जहाज का पंक्षी
लौट के जहाज पर ही आये.
क्या हो उस पक्षी का जिसका
जहाज ही समंदर में डूब जाए?
ऐसे मैं इस पंछी को कुछ समझ ना आये ,
आखिर ये पंछी किसके पास जाए,
ऐसे में साईं ही हमें बचाए
वो हर कदम पर साथ निभाए ।

Sunday, January 10, 2016

साँई से रिश्ता

••••••••••••साँई से रिश्ता••••••••••••
जग में साँई से रिश्ता है अपना
बाकि थोथे है सब रिश्ते व्यवहार
तो क्यों न साँई से ऐसे रिश्ता जोड़े
कि पल में भूले हम ये सारा संसार
साँई हमे अपने चरणों में स्थान देकर
करे हम बच्चों पर इक बड़ा उपकार
साँई नाम से हम मन बगिया को सजाये
और हमारी रसना करती रहे साँई की जयकार
बाबा के हम न कोई बड़े ही भक्त
नही जानते भक्ति का कोई प्रकार
बस साँई साँई रटता आता है हमे
साँई नाम ही है हमारा जीवन सार
न ही अर्पण करने को हमारे पास कुछ
बस अर्पण करते है हम अश्रुओं का हार
यकीन है कि बाबा हमारा भाव देखेंगे
और करेंगे उन अश्रुओं को स्वीकार
अब इस जिंदगी में बचे हो सौ साल
या चाहे भले बचे हो अब दिन चार
हर पल साँई की बातो में बिताएंगे
गाकर बाबा साँई की लीलाएँ अपरम्पार
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