*आज मैंने मित्र दिवस पर इन भावों के जरिये बाबा को मित्र दिवस की शुभकामनाएं दी* :-
सखा रूप में हमे अपना लो
जैसे तुम्हारे सखा थे भक्त शामा
साँई तुम बन जाओ आज श्रीकृष्ण
और हमे बना लो अपना मित्र सुदामा
साँई हमे गुणों की खान बना दो
हम खुद को तेरा सखा कह ले
चाहे एक दिन के लिए ही सही
संग में तेरे मित्र रूप में रह ले ।।
*तो लगा कि जैसे बाबा साँई शुभकामनाये स्वीकार करते हुए प्रत्युत्तर में मुझे यह बोलना चाह रहे है कि*....
"" मित्र रूप में हूँ मैं संग तुम्हारे
इस बात को तुम जानो निश्चित
तुम्हारी हर साँस पर मेरा वास हैं
मेरी लीलाओ से तुम हो अपरिचित ""
:- *_Baba Sai_* .