Friday, May 6, 2016

How do we see Baba Sai ?

बाबा को हम सभी का देखने का नजरिया अलग अलग है.......

कोई बाबा को मूर्ति रूप में देखता है,
तो कोई बाबा को अपने सपनो में बाबा को देखता है एवम् बाबा को खुद के साथ महसूस करता है,
कोई मन्दिर जाकर आरती में बाबा को महसूस करता है,
तो कोई भजन सुनते समय बाबा को महसूस करता है,
तो कोई श्री साँई सच्चरित्र में बाबा को देखता है कि जिसने उस वक्त कितने लोगो में प्रेम बांटा कितने लोगो का भला किया ,
तो कुछ भक्त ऐसे भी है जो खुद के साथ बाबा की अद्भुत लीलाओ के माध्यम से बाबा को महसूस करते है,
और कुछ लोग वो भी है जो अपने कार्यो में बाबा को पाते है ।

सबका अपना अपना नजरिया है बाबा को देखने का और बाबा की मौजूदगी महसूस करने का ......
परन्तु-
The luckiest are the ones who identify their own actions as the outcome of inner motivations generated by Baba.
The best devotees are those who in every motivation and action find the play of His Divine play-लीला .

श्री साँई अमृततुल्य सुवचन- कर्मचक्र

:: ll श्री साँई अमृततुल्य सुवचन ll ::

:- कर्मचक्र-

" कर्म देह प्रारम्भ (वर्तमान भाग्य), पिछले कर्मो का फल अवश्य भोगना पड़ेगा, गुरु इन कष्टों को सहकर सहना सिखाता है, गुरु सृष्टि नहीं दृष्टि बदलता है ।"- Baba Sai.

श्री साँई चरण ही हमारी शरण

हे हम सबके आराध्य बाबा साँई ,

                   हम सभी का मन-मधुप आपके चरण कमल में ध्यान लगाने और भजन सुनने व् आपकी कृतियों को पढ़ने में लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका हमें ज्ञान नहीं । हम पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन हम दासों की रक्षा कर हम सभी का कल्याण करें ।
आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये हमारा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।

हे श्री साँई, तव श्री चरणों में हमारा साष्टांग प्रणाम ।

श्री साँई सच्चरित्र अमृतोपदेश-अध्याय 6

:: ll श्री साँई सच्चरित्र अमृतोपदेश ll ::

श्री साईबाबा के मनोहर रुप के दर्शन कर कंठ प्रफुल्लता से रुँध जाता है, आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगती है और जब हृदय भावनाओं से भर जाता है, तब सोडहं भाव की जागृति होकर आत्मानुभव के आननन्द का आभास होने लगता है । मैं और तू का भेद (दैृतभाव) नष्ट हो जाता है और तत्क्षण ही ब्रहृा के साथ अभिन्नता प्राप्त हो जाती है ।

(श्री साँई सच्चरित्र अध्याय 6)

Thursday, May 5, 2016

साँई ही हमारा संसार

बाबा साँई में होगी कुछ ख़ास बात
तभी साँई को पूजता है सारा संसार
जो बाबा साँई की शरण में आ गया
उसके मन में साँई नाम की है झंकार
जिसने सब्र रख साँई में श्रद्धा कर ली
वो जीवन में सीख लेता है सद्व्यवहार
जो हर जन में साँई का दर्शन करे,
उस पर साँई कृपा बरसती है बेशुमार
शौहरत की चाह छोड़ जो साँई में डूबे
उसके जीवन में लगता है खुशियों का भण्डार
जिसका सब अपनों ने छोड़ दिया हो साथ
उसका तब बाबा साँई बनता है मददगार
बीच मंझधार में फ़ंसती जब जीवन नैया
तब बाबा साँई लगा देता है नैया को पार
बाबा भक्तो पर अपार रहमतें है लुटाता
कोई इसे उसकी लीला कहता कोई कहे चमत्कार
बाबा की शरण में इक बार आकर तो देखो
जीवन से हट जायेगा तुम्हारे पापो का भार
कर्म सदा नेक कर सत्य की राहो पर चलना ,तो
लोगो के लिए प्रशंसनीय होगा तुम्हारा जीवन सार
जब जीवन में चहुँ ओर दिखे अँधियारा
तो बाबा साँई को बना लेना जीवन आधार
मैल तुम्हारी युगों की धुल तबियत निखरेगी
और बाबा साँई जोड़ेंगे तुमसे दिल के तार
ग़मो की धूप से जो मन संकीर्ण हुआ था
साँई कृपा पा खुशियों से मन का होगा विस्तार
साँई तेरे संग रहेंगे जीवन के हर क्षण में
बस तू साँई को समझना अपना घरबार
साँई ने बाँटी शिक्षा " श्रद्धा और सबूरी" की
ये " श्रद्धा और सबूरी " है सर्वोत्तम सुविचार
जो जन इसको अपने जीवन में अपना ले
उसके मन से निकले साँई नाम बारम्बार
साँई चरणों को समझे जो अपना आशियाना
उसके जीवन को पल में देते है बाबा संवार
जिनका जीवन में कोई नही होता अपना
उनको बाबा देते है मातृ पितृ सम दुलार
दुनिया की सुध छोड़ साँई में ऐसे डुबो
कि तन मन पर छड़ जाये साँई नाम का खुमार
हर रोज हर पल साँई साँई रटते चलो
फिर चाहे जीवन में दिन बचे हो चार
साँई नाम से वो चार दिन भी पावन बनेंगे
और बाबा साँई की रहमत बरसेगी अपरम्पार
साँई ने हमे ये मानव देह दी और अपना बनाया
इसके लिये साँई का तहे दिल से करते हम आभार

श्री साँई अमृततुल्य सुवचन- "आत्मचिंतन"


::ll श्री साँई अमृततुल्य सुवचन ll::
आत्मचिंतन-
" अपने आपकी पहचान करो, कि मेरा जन्म क्यों हुआ? मैं कौन हूँ? आत्म-चिंतन व्यक्ति को ज्ञान की ओर ले जाता है| "- Baba Sai .

Wednesday, May 4, 2016

बाबा के अनन्य भक्त- भाई महाराज कुम्भकार

:: ll बाबा के अनन्य भक्त- भाऊ महाराज कुम्भकार ll ::

चैत्र मास की कृष्णपक्ष तृतीया को भाऊ महाराज की पुण्यतिथि होती है । भाऊ महाराज रहने वाले नीमगाँव के थे एवम् जाति से कुम्भकार थे, ये नीमगाँव छोड़ शिर्डी में आ गए थे एवम् जीवनपर्यन्त शिर्डी में रहे , शिर्डी में जहाँ नानावली की समाधि है वही उसके पास ही इन भाऊ महाराज की समाधि है- आप में से अधिकांश लोगो ने इनकी समाधि के दर्शन भी किये होंगे ।
ये जब नीमगाँव से शिर्डी में आकर बस गए तो शनि मन्दिर के पास रहते थे एक बरगद के वृक्ष के नीचे, इनकी बाबा के प्रति भक्ति निस्वार्थ थी, ये भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते थे,
इनके पास एक कंबल था जिसे सदा अपने पास रखते थे एवम् अगर इन्हें कोई धनाढ्य व्यक्ति वस्त्र वस्तु भेंट देता था तो ये उन वस्तुओ वस्त्रो को जरूरतमन्द लोगो में बाँट देते थे ।
ये रोज सुबह से लेकर दोपहर तक शिर्डी की गलियो की सफाई करते थे और अपने कम्बल से ही शिर्डी की सारी गलियो की सफाई किया करते थे , चाहे बारिश हो या तेज धूप इनका सफाई का नियम कभी नही टुटा ,

सुबह जल्दी उठकर बाबा के दर्शनों के ये जाते थे, एवम् बाबा से अकेले में जो वार्ता होती थी वो ये किसी को नही बताते थे । एक बार किसी ने इनसे पुछा तो बहुत प्रयत्न करने पर इन्होंने बताया कि- "बाबा मुझे अपनी भाकरी में से 1/4 हिस्सा देते है और अच्छी प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाते है" ।

जब बाबा ने महासमाधि ले ली थी, उसके पश्चात ये भाऊ महाराज दिन में कई बार बाबा के दर्शनों के लिये बाबा के समाधि मन्दिर जाया करते थे और ये बात किसी को पता नही होती थी- सोचिये बाबा से इनका रिश्ता कितना घनिष्ट होगा तभी तो किसी को पता भी नही होता था और ये बाबा की महासमाधि के दर्शनों को जाते थे तो जरूर ये अकेले में बाबा से पहले की तरह बाते करते होंगे जैसे कि जब बाबा देह में थे तब किया करते थे ।

जब भाऊ महाराज ने अपनी देह त्यागी थी तो उससे 1 सप्ताह पहले से कुछ भी खाना पीना छोड़ दिया था एवम् जब इन्होंने देह त्यागी तब शिर्डी में सब लोग उपस्थित हो गए एवम् गम में डूब गए , और लोगो ने निश्चय कर 12 वे दिन इनके सम्मान में शिर्डी में विशाल भंडारे का आयोजन किया ।

तब से शिर्डी साँई संस्थान हर वर्ष चैत्र मास की तृतीया को इनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाता है एवम् इस दिन हर साल विशाल भंडारे का आयोजन होता है ।
आज भी कई औरते जब इनकी समाधि के दर्शन करती है तो इनकी समाधि से धूल लेकर अपने बच्चों के मस्तक पर लगाती है कि बड़ा होकर हमारा बच्चा भी इनकी तरह ही बनें - सच्चा एवम् निस्वार्थ बाबा का अनन्य भक्त ।

आज भाऊ महाराज की पुण्यतिथि है, भाऊ महाराज को शत् शत् नमन् ।

ॐ श्री साँई राम जी ।

Sunday, May 1, 2016

साई दर्श

:: ll साँई - दर्श ll ::

जो निस्वार्थ नेकी करे
उन्हें साँई मिल जाय
भक्ति की क्या जरूरत
गरीबो में साँई दर्श पा जाय l

दर्श साँई के करने की
मन में जगी इक अभिलाषा
गुजराती मेघा की जीवनी पढ़ी
समझ में आई भक्ति की परिभाषा l

बाबा साँई दर्श देते नही आसानी से
सुना है करनी पड़ती है बड़ी तपस्या
किसी बेसहारे का तुम सहारा बन जाओ
साँई दर्श होंगे उनमे,दूर होगी सब समस्या l

फलयुक्त वृक्ष भाँति विनम्र बन
और छोड़ दे बंदे तू अभिमान
साँई दर्श तुझको हो जायेंगे
बन जायेगा तू गुणों की खान l

लोग कहते है साँई दर्श हो तो
वो हमेशा अच्छे बनकर रहेंगे
गर अच्छे बन कर ही रह लो
तो बाबा साँई तुम्हे जरूर मिलेंगे l

बाबा साँई के दर्श हो जाये गर,
लगे ज्यों अमृत का प्याला पीना
और बाबा साँई गर हुए मुझसे दूर,
लगे ज्यो तिल तिल हर दिन मरना