Tuesday, June 30, 2015

साँई बखान

जय जयकार हो साँई तेरी ऐसे
कि ये धरती ये व्योम झूम उठे
तेरी जय सुन सावन भी बरसे
और तेरे चरणों से गंगा बह निकले

साँई तेरी जय जयकार करूँ मैं
अपने तन मन और पूर्ण भाव से
ताकि मेरे मन में तेरा अनहद नाद हो
और सुकून मिले मुझे तेरी मातृ छाँव से

मातृ छाँव मिले मुझे साँई तेरी
तो तन मन मेरा हो जाये शीतल
नन्हे पाँव मेरे चले नगरिया तेरी
तो खुशनुमा हो जीवन का हर पल

जीवन के हर पल में मेरे
हे साँई नाथ नाम तुम्हारा है
चाहो तो आजमा लो आप मुझे
आपको अर्पण ये जीवन सारा है

अर्पण करने को कुछ नही मेरे पास
जिंदगी भी दी हुई बाबा आपकी है
क्षण क्षण जीवन का साँई नाम में बिताऊँ
बिन साँई नाम जिन्दगी किस काम की है

जिन्दगी में गर करूँ मैं काम नेक
तो आपकी रहमत का बरसे सावन
अपने मन में ही लूँ मैं आपको देख
तो मन ही बन जाये शिर्डी धाम पावन

पावन पतित बड़ा वो शिर्डी का साँई
हर चिंता हर लेती उसकी द्वारकामाई
किसी का वो पिता तो किसी का भाई
सुख पाती जिव्हा जिसने साँई महिमा गायी
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Thursday, June 11, 2015

साँई आप लीला का लगाओ भण्डार

दिल मेरा बैचैन बाबा
नीर भरे है ये नैन
किससे करूँ दिल की फरियाद
करता हाथ जोड़ तुमको याद
जीवन जीना लग रहा मुश्किल
मानो अंदर तक गया मैं हिल
क्यों मुझे सबसे अलग बनाया
दुखी रहता मेरा मन और काया
जाने कैसे कैसे विचार आते
गलत सम्भावनाओ को साथी बनाते
भविष्य की सोच मन होता चिंतित
कि जीवन हो न जाये कहि शिथिल
बाबा तुमसे ही अब इतनी गुजारिश
मुझ पर कर दो रहमत की बारिश
मेरे मन मस्तिष्क को दो सुकून शांति
दूर हो कुविचार जो आते भांति भांति
मेरी कुण्डली में देव शनि जो है स्वामी
साँई तुम ही बन शनि दो ख़ुशी की हामी
बाबा तुम नित नित नई नई लीला दिखाते
दुख सागर से मुझ अदने को बाहर निकालते
साँई तुम लीलाओ का भण्डार लगाओ
मुझ बच्चे पर अपनी करुणा बरसाओ
लिखते लिखते नई थक रहे मेरे हाथ
अरदास कर रहा मैं पाने को आपका साथ
इन नैनो से आसुओ का सागर रहा छलक
तुम ही आसु दूर करो बसके मेरी पलक
मुझ अदने को बाबा आप दो इक हौसला
आपका साथ पाकर दूर हो हर बला
बाबा आपका करूँ मैं नित नित गुणगान
अधरों पर ला दो मेरे इक मधुर मुस्कान
मुझे भी बाबा आप कर दो स्वस्थ
दूर हो मेरे सभी मानसिक कष्ट
इन शब्दों को लिखते ही रचो इक लीला
ताकि आपकी रहमत में नहा होऊं मैं गीला
बाबा आप पर मुझ अदने का है पूर्ण विश्वास
मेरी पुकार सुन आप आओगे मेरे पास
साँई आप सबके सर पर रखो हजारो हाथ
सब पर होती रहेआपकी कृपा की बरसात
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Sunday, June 7, 2015

साँई तेरा गौरव बना रहे

""""!साँई तेरा गौरव!""""

गौरव करूं मैं इन शब्दों पर
जिनमे साँई तेरा नाम है बसे
खुद को भूल कर तुझे चाहूँ
चाहे ये दुनिया मुझ पर हसे

साँई युही बना रहे तेरा गौरव
तेरा ही बखान करे समस्त भव
जिसकी जिव्हा से निकले तेरा नाम
उसके कठिन काम भी हो जाये सम्भव

जमाना रूठे साँई तू न रूठना
सदा मेरे दिल विच ही रहना
दिल में गूँजे तेरे नाम की कलरव
तेरा ही बखान करे तेरा ये गौरव

साँई तुझसे मेरी इतनी अरदास है
कि तेरी शिर्डी में मेरा इक ठिकाना रहे
तेरे चरणों में रहूँ सदा बनके दास
और तेरा ''गौरव'' युही बना रहे
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मैं इक नन्हा पँछी

इक दिन स्वप्न ऐसा आये मुझे
कि साँई चिट्ठी भेज बुलाये मुझे
मैं भी पंख लगा पँछी बन जाऊँ
साँई दर पहुँचते ही साँई गले लगाये मुझे

बिन पंखो का मेरा मन इक पँछी
उड़ जाता शिर्डी नगरी की ओर
मन में बड़े विकार दुविधा पाले था
शिर्डी पहुँच कर पाता सुकून और ठौर

मेरा मन इक नन्हा पँछी
निहारे साँई चरण की ओर
साँई चरणों के होते जब दर्शन
तो समझो जीवन में हो जाता भोर

मिले मुझ पापी को अगर अगला जन्म
तो बनना जाऊँ मैं इक नन्हा पँछी
ताकि साँई मिलन की प्यास जब जगे
तो शिर्डी उड़ जाऊं हो ऐसी किस्मत अच्छी

शिर्डी नगरी है बहुत दूर
जाने को जी है ललचाये
साँई मुझे भी पंछी बना दे
ताकि तेरे दर्शन कर पाये

साँई दर्श बिन मैं तो हूँ पागल
ज्यो बिन पर का होता पँछी
साँई दर्श पाता रहूँ मैं हर पल
अगर साँई बना दे किस्मत अच्छी

चिट्ठी लिखुँ आँखों के आंसुओ से
हे बाबा हे मेरे साँई तेरे ही नाम
पँछी बनकर तुझ तक चिट्ठी पहचाऊ
और कोयल बन गाउँ बस साँई राम

इस परिवार में भक्तजन सब ऐसे
जैसे धुन सुना रही कोयलो का समूह
मैं इन सबमे हूँ इक अदना सा पँछी
साँई गुणगान करता मेरे इस छोटे मुंह

साँई तू है मेरा हरा भरा बाग़
मैं हूँ तेरी बगिया का नन्हा पँछी
अहोभाग्य जो यहाँ जगह मिली मुझे
मुझ पापी की तूने किस्मत बनाई अच्छी
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