Tuesday, January 14, 2020

साँई आपसे ही हैं ये जीवन

मैं इक अँधा बन्दा हूँ आपका
साँई दिखाओ मुझे सही राह
और नही चाह जीवन में कुछ
बस आपकी लीलाएँ देखूँ अथाह

बाबा साँई तू है अथाह सागर
मैं हूँ नदियाँ की अल्हड़ धारा
आखिर में तुझमे ही आ मिलता
भला तेरे बिन कहाँ जाये ये बेचारा

बेचारा लाचार सा था मैं तब तक
साँई जब तक ना तुझसे था मिला
तुझसे मिल जिंदगी मेरी बन गयी
साँई अब इस जिंदगी से न कोई गिला

बिन माँगे तू सब कुछ दे देता
सबकी झोलियाँ तू देता हैं भर
हमारे चेहरे पर मुस्कान हैं रहती
ऐसा हैं साँई तेरी संगत का असर

साँई चरणों मे अर्पण ये अश्रु

वो भीतर कहि छुपा छुपा सा इक आँसू
जो है मेरे हर सुख हर दुःख में मेरा मीत
आँसू नही वो है दिल में बसी ओस की बूँद
अब ये कीमती चीज साँई चरणों में समर्पित

बाबा साँई.....तुम सब कुछ मेरे

बाबा साँई तुम..... तुम सब कुछ हो मेरे
तुम सर्दी में खिली धूप हो
तुम मन में बसा सुंदर स्वरूप् हो
तुम इंतजार की राहत हो
बाबा तुम मेरी चाहत हो
मैं माँगता तुम वो दुआ हो
तुम मुझे रोशन करता दिया हो
मेरी निगाहो की तुम तलाश हो
बाबा तुम मेरी जमीन का आकाश हो
बाबा तुम मेरे मन में बसा प्यार हो
तुम मेरी आँखों से दिखता संसार हो
तुम मेरे चेहरे पर खिली मुस्कान हो
बाबा तुम ही चारो जग की शान हो

लिखने को तो है बहुत कुछ कि बाबा तुम क्या हो
पर चन्द लफ़्ज में कहूँ अगर मैं कि
बाबा तुम क्या हो ..... तो

बाबा साँई तुम सर्व गुणों की खान हो
इस जग में बाबा तुम सबसे महान् हो ।