Monday, April 6, 2015

धैर्य

बहुत गई थोड़ी रही,
व्याकुल मन मत हो
धीरज सबका मित्र है,
करी कमाई मत खो॥

अर्थात- धैर्य मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है, जिसने इससे दोस्ती की, उसे जीवन की सारी खुशियाँ हासिल हो सकती हैं। मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना। किसी भी परिस्थिति में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए।
      जीवन में रात आती है, दिन आता है, रोग आता है, आरोग्य आता है, सुख आता है, दुःख आता है, परंतु किसी भी स्थिति में हमें विचलित नहीं होना चाहिए। जिसके पास धैर्य रूपी
पारसमणि है, वही व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है।

इसीलिए कहा भी जाता है-

धैर्य धरो आगे बढ़ो,
पूरन हो सब काम।
उसी दिन ही फलते नहीं,
जिस दिन बोते आम।
http://drgauravsai.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment