Saturday, May 9, 2015

माँ

मातृ दिवस पर मुझ अदने ने इक कोशिश की थी माँ की महत्ता को शब्दों में व्यक्त करने की
जानता हूँ माँ की महत्ता बखान करने में शब्द और एक दिन नाकाफी है
पर फिर भी मेरा चन्द प्रयास जो कि मेरी माँ को समर्पित है:-

मेरी प्यारी माँ , आज है मातृ दिवस
एक दिवस नाकाफी है गाने को तेरा यश
तेरी निस्वार्थ ममता का नही है कोई छोर
जो तेरी ममता में डूबे वो क्यों देखे कहि और
तू तो माँ इक पावन शीतल सा झरना है
माँ मुझे तो तेरी मातृ छाँव में सदा ही रहना है
मैं सोचता हूँ तुझ बिन माँ कैसे दुनिया होती
तू न होती तो भगवन न जन्मते न दुनिया होती
माँ तेरे बारे में तेरी महत्ता का कैसे करूँ बखान
माँ तू तो समस्त विश्व के सर्व गुणों की है खान
मैं क्यों जाउ भगवन ढूंढने मन्दिर मस्जिद
जब मेरे घर माँ रूप में भगवन है रहते
पूरी करते मुझ बालक की हर इक जिद
माँ तेरा गुणगान करने को इक दिन नाकाफी है
माँ तू सर्वोत्तम है तुझमे न कोई खामी है
कैसे करूँ मैं शब्दों में व्यक्त माँ तेरी महत्ता
मुझमे इतना साहस नही न मुझमे इतनी क्षमता
माँ जग को प्रकाशित करती जैसे करता दिया
माँ के लिये इक दिन नही होता होती है सदियाँ
http://drgauravsai.blogspot.com/

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