Sunday, May 17, 2015

शब्दों में साँई तुम बसे

अपने साँई की बात ऐसी निराली
जैसे सुंदर व्यंजनों से सजी हो थाली
दूर तक व्यंजनों की है महक उठे
वैसे ही साँई शान में नए नए शब्द गढे

हर शब्द में मैंने अपनी जान फूंकी है
अब तो रहम करो साँई दिल बड़ा दुखी है
ये शब्द नही आपको अर्पित फूल है
मुझ नन्हे की सुनो जो आपकी चरण धूल है

श्री साँई कृपा सब पर ऐसे बरसे
कि सबके मुख पर हो साई के चर्चे
लिखा हर शब्द साँई नाम से है निखरे
इन शब्दों में साँई आकर साक्षात् बसे
http://drgauravsai.blogspot.com/

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