Sunday, May 10, 2015

जब बना मैं श्री साई चरण की धूल ,पथरीली राह में खिले सुंदर फूल

चला मैं पथरीली राहो पर
कंकड़ कांटे चुभे पाँव में
लहू लाल मेरा बह निकला
मेरे पापो का भरा घड़ा बहा
हुई मुझे ह्रदय विदारक वेदना
तब समझी मैंने अंतर्मन की चेतना
साँई को साक्षी मान ली मैंने शपथ
त्यागूँगा अभी ही सारे झूठ छल कपट
तब साँई ने बनाया मुझे अपनी चरण धूल
पथरीली राहो के काँटे बन गए सुन्दर फूल

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