Monday, October 14, 2019

सौ वर्ष पूर्व साँई सम्मुख

बाबा इतनी सी कृपा कर दो आप
कि मिल जाये मुझे जादू की छड़
सौ वर्ष पूर्व मैं पहुँचूँ आपकी नगरी
लगाके अपने सुंदर ख्यालो को पर
आपके साक्षात् दर्शन नित नित पाऊँ
आपके चरण कमलो को मैं दबाऊँ
आपके दर्शन करके न थके मेरी अँखियाँ
आपकी द्वारकामाई में जलाऊँ हर रोज दिया
आपकी लीला को मैं सामने साक्षात् देखूँ
आपके बखान में हर घड़ी काव्य कृति लिखूँ
आपके सुंदर अमृत वचनो का पान करूँ
आपकी रहमत अपनी फ़टी झोली में भरूँ
मेघा शामा जब करे तव प्रति भक्ति अटूट
मैं भी सीखूं उनसे लेकर भक्ति की इक बूंद
देखूँ आपको करते हुए कोढ़ी भागोजी की सेवा
मैं भी सेवा को समझूँ देखकर आपको हे देवा
जब मेरे घर आप मुझसे लेने आये भिक्षा
ग्रहण कर लूँ मैं आपसे श्रद्धा सबूरी की शिक्षा
जब विश्राम करने चावड़ी जाते आप निकले
आपको देख मेरे मन की युगो की मैल धुले
आपके सानिध्य में मैं मेरा जीवन बिता दूँ
करते करते आपकी सेवा हे फकीर हे साधु
पर कभी आपकी देह त्याग वाला दिन न आये
इक पल भी आप हमसे ओझल न हो पाये
मानव शरीर में रहे आप तब तक हे सच्चिदानन्द
जब तक ये दुनिया रहे और रहे ये ब्रह्मण्ड
मेरी आखिरी साँस तक साँई नाम की माला फेरूँ
आपके ही श्री चरणों में उड़ जाये मेरे प्राण पखेरूं
फिर से कुछ सालो में मुझे मानव जन्म मिल जाये
दिन साल बढ़ते बढ़ते ये वर्तमान समय भी आये
शिर्डी में आपके दर्शन पाने को लगे भक्तो का ताँता
मानव देह में रहते हुए ही आप बने सबके विधाता
http://drgauravsai.blogspot.com/

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