Tuesday, March 31, 2015

साई तू दिखता है.....

सुबह उठ मैं हाथो की लकीरे देखूँ
तो उनमे भी साई तू नजर आता है
अब मैं कैसे कह दू कि मेरा दिन अच्छा नही बीता
सुबह हो शाम हर पल तेरा नाम संग चलता है

मैं जो भी गीत कागज पर उकेरू,
साईं तू आके वहाँ तेरा नाम लिखता है ।
मैं लिखना किस तरह छोड़ सकता हूँ ,
ये आइना है ,तू जिसमे दिखता है ।।

लोग कहते है तुझको किसी ने नही देखा , कोई
रोता हुआ इन्सान मुस्कुराये तो मुझे तू ही दिखता है ।
तेरा दो लम्हों का साथ मिला तो सब मिल गया ,
अब क्यों पूछे 'गौरव' कि ये किस्मत कौन लिखता है।

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