Thursday, June 11, 2015

साँई आप लीला का लगाओ भण्डार

दिल मेरा बैचैन बाबा
नीर भरे है ये नैन
किससे करूँ दिल की फरियाद
करता हाथ जोड़ तुमको याद
जीवन जीना लग रहा मुश्किल
मानो अंदर तक गया मैं हिल
क्यों मुझे सबसे अलग बनाया
दुखी रहता मेरा मन और काया
जाने कैसे कैसे विचार आते
गलत सम्भावनाओ को साथी बनाते
भविष्य की सोच मन होता चिंतित
कि जीवन हो न जाये कहि शिथिल
बाबा तुमसे ही अब इतनी गुजारिश
मुझ पर कर दो रहमत की बारिश
मेरे मन मस्तिष्क को दो सुकून शांति
दूर हो कुविचार जो आते भांति भांति
मेरी कुण्डली में देव शनि जो है स्वामी
साँई तुम ही बन शनि दो ख़ुशी की हामी
बाबा तुम नित नित नई नई लीला दिखाते
दुख सागर से मुझ अदने को बाहर निकालते
साँई तुम लीलाओ का भण्डार लगाओ
मुझ बच्चे पर अपनी करुणा बरसाओ
लिखते लिखते नई थक रहे मेरे हाथ
अरदास कर रहा मैं पाने को आपका साथ
इन नैनो से आसुओ का सागर रहा छलक
तुम ही आसु दूर करो बसके मेरी पलक
मुझ अदने को बाबा आप दो इक हौसला
आपका साथ पाकर दूर हो हर बला
बाबा आपका करूँ मैं नित नित गुणगान
अधरों पर ला दो मेरे इक मधुर मुस्कान
मुझे भी बाबा आप कर दो स्वस्थ
दूर हो मेरे सभी मानसिक कष्ट
इन शब्दों को लिखते ही रचो इक लीला
ताकि आपकी रहमत में नहा होऊं मैं गीला
बाबा आप पर मुझ अदने का है पूर्ण विश्वास
मेरी पुकार सुन आप आओगे मेरे पास
साँई आप सबके सर पर रखो हजारो हाथ
सब पर होती रहेआपकी कृपा की बरसात
http://drgauravsai.blogspot.com/

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