*बाबा साँई के अनन्य भक्त*
धन्यवाद करते हैं हम उनका
जो रचे श्री साँई सच्चरित्र ग्रन्थ
गोविन्दराव दाभोलकर जी थे वे
साँई ने नाम दिया उन्हें हेमाडपंत ।।
गणपतराव बाबा के भक्त ऐसे
साँई के मधुर कीर्तन किये जाय
वे साँई स्तवन मंजरी के रचयिता
साँई कृपा से 'दासगणु' कहलाय ।।
द्वारकामाई की सफाई करें
व करे हर पल साँई गुणगान
'राधाकृष्णमाई' की प्रेरणा से
गठित हुआ था साँई संस्थान ।।
आठ कोस से जल ला 'मेघा'
साँई जी को अभिषेक कराय
जब प्राण त्यागे भक्त मेघा ने
उन्हें याद कर साँई अश्रु बहाये ।।
'आओ साँई' कहे 'महालसापति'
साँईबाबा जब शिर्डी गाँव आये
वही से उनको 'साँई' नाम मिला
महालसा साँई संग जीवन बिताये ।।
छोटे भाई जैसे थे तात्या
साँई से असीम प्रेम वे पाये
तात्या के प्राणों की रक्षा हेतू
साँई स्वयं महासमाधि ले जाय ।।
जब साँई लेंडी बाग को जाते
संग में छाता ले 'भागोजी' जाये
एक बार साँई आग में हाथ डाले
साँई की सेवा भागोजी किये जाये ।।
तात्या कोते की माँ बायजा माई
बाबा के लिये रोटी साग लेकर आय
माँ सम ममता पाकर साँई प्रसन्न हुए
साँई रोज माँ के हाथों से भोजन खाय ।।
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