Tuesday, July 12, 2022

श्री साँई गुरूवर

*श्री साँई गुरूवर*

श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साँई नाथ के श्री कमल चरणों मे आज गुरू पूर्णिमा पर्व पर मेरा साष्टांग प्रणाम।
गुरू पूर्णिमा का विशेष महत्त्व हैं , क्योकि आज का दिन गुरू का दिन हैं । गुरू का स्थान सर्वोपरि होता हैं । गुरू से हमे अनेकों शिक्षाये मिलती हैं, उन्हें जीवन मे अपना कर हम अनेकों ज्ञान प्राप्त करते हैं, सुख शांति से रहते हैं व गुरू की शिक्षाओं से अपना लक्ष्य हासिल करते हैं ।

श्री साँई बाबा ने गुरूवर रूप में अनेकों शिक्षाये दी हैं, जिन्हें मैं अपने जीवन मे अपनाने का पूर्ण प्रयास करता आया हूँ तथा उन शिक्षाओं को अपनाने से निश्चित रूप से जीवन मे सुख शांति, प्रसन्नता रहती हैं ।
श्री साँई बाबा की जीवनी से जुड़े महाग्रन्थ ,जिसमे बाबा की अनेक लीलाओं का समावेश हैं तथा उन लीलाओं के माध्यम से बाबा ने अनेकों उपदेश दिये हैं, उस महाग्रन्थ श्री साँई सच्चरित्र के माध्यम से श्री साँई बाबा से अनेकों शिक्षाओं की प्राप्ति हुई, उनमें से कुछ को यहां लिख रहा हूं ।
बाबा से मुझे यह शिक्षा मिली है कि हमें, सदैव लोगो की मदद करते रहना चाहिए क्योंकि नर सेवा ही नारायण सेवा हैं । हम जब किसी की मदद करे तो निस्वार्थ भाव से मदद करनी चाहिए ।
इसके अलावा बाबा से "श्रद्धा व सबूरी" की शिक्षा भी मिली हैं । यह हम सभी जानते हैं कि बाबा ने अनेकों बार ऐसा कहा है कि "श्रद्धा व सबूरी" रखनी चाहिए ।
मेरे जीवन मे श्रद्धा थी परन्तु सबूरी अर्थात धैर्य का अभाव था, कोई कार्य किया और उसमें सफलता नही मिलने पर मैं उदास हो जाता था और अब भी कई बार हो जाता हूँ तो बाबा ने यह सिखाया कि धैर्य की भी उतनी ही आवश्यकता है जितनी कि श्रद्धा की । बाबा की "श्रद्धा व सबूरी"  की शिक्षा को मैंने जीवन मे अपनाया । 
"श्रद्धा व सबूरी" के बारे में जो मैं समझ पाया हूँ कि श्रद्धा व सबूरी क्या हैं, उससे जुड़े अपने विचार लिख रहा हूँ ।
श्री साँई सच्चरित्र में अध्याय 18व19 में बाबा ने कहा हैं कि "धैर्य व निष्ठा जुड़वां बहने हैं ।" मैं यह समझ पाया हूँ कि जीवन मे जितनी आवश्यकता श्रद्धा (निष्ठा) की हैं, उतनी ही आवश्यकता हैं सबूरी (धैर्य) की । श्रद्धा व सबूरी ,दोनों का होना आवश्यक हैं ।

_श्रद्धा क्या हैं ?_, श्रद्धा हैं निष्ठा अर्थात समर्पण, सरल शब्दों में लिखूं तो लगन । जीवन मे हम अगर कोई कार्य कर रहे है व उसमें सफल होना चाहते हैं तो उस कार्य मे हमारा समर्पण ,हमारी लगन होना बहुत ही आवश्यक हैं । अगर हमारी किसी कार्य में लगन नही होगी तो वह कार्य सफल कैसे हो सकेगा ! अतः हम जीवन में जो कोई भी कार्य करे वह पूर्ण निष्ठा भाव से करें ।

_सबूरी क्या हैं ?_, किसी भी कार्य को करने के लिये उस कार्य के प्रति समर्पण होना आवश्यक हैं तो जितनी आवश्यकता समर्पण (श्रद्धा) की हैं उतनी ही आवश्यकता सबूरी (धैर्य) की होती हैं । धैर्य (धीरज) ही सबूरी हैं । हम कई बार किसी कार्य को करते समय जल्दबाजी कर जाते हैं और वह कार्य सफल नही हो पाता, फिर दोष किस्मत को देने लगते हैं । किसी कार्य के लिये हम पूर्ण लगन भाव से करते हैं परन्तु फिर भी अगर सफलता नही मिल पाती तो उदास हो जाते हैं । किसी भी कार्य की सफलता के लिये जितनी जरूरत हमे लगन की होती है उतनी ही जरूरत होती है धैर्य रखने की, संयम से काम लेने की । धीरज हमारा वह मित्र हैं ,जो हमें टूटने नही देता हैं । कहते भी है ना कि सब्र का फल मीठा होता हैं । हम जब भी कोई कार्य करे तो धीरजता के साथ वह कार्य करें । कार्य करते समय धैर्य बनाये रखे । अगर कभी हम किसी कार्य मे असफल हो भी जाये तो उस समय सबसे जरूरी होता है धीरज रखे रहना और लगातार पूर्ण लगन से कार्य करते रहना ,अगर पूर्ण निष्ठा भाव से कार्य करेंगे व धीरज रखेंगे तो सफल अवश्य होंगे, हो सकता है सफल होने में थोड़ा समय लग जाये परन्तु उस समय धैर्य बनाये रखते हुए पूर्ण लगन से कार्य करते रहना हैं । हमने चींटी को दीवार पर चढ़ते हुए कई बार देखा होगा, चींटी जब दीवार पर चढ़ती हैं तो कई बार गिरती हैं, परन्तु वह हार नही मानती और आखिर में दीवार चढ़ ही जाती हैं । इसी तरह जब एक छोटा बच्चा पहली बार उठ खड़े होकर चलना सीखता हैं तो कई बार गिरता हैं और आखिर में चलना सीख ही जाता हैं । यही तो जीवन हैं कि आप चलते रहिये । अपने साँई पर व खुद पर विश्वास रखिये, पूर्ण लगन से अपना कार्य करिये व धैर्य बनाये रखिये, आप सफल होंगे ।

"श्रद्धा व सबूरी" की शिक्षा मुझे बाबा से मिली, जिसे मैं अपने जीवन मे अपना रहा हूँ और जो मैं श्रद्धा व सबूरी का मतलब समझ पाया हूँ, वह यहाँ लिखने का प्रयास किया हैं।

साँई नाम हैं हिम्मत हमारी
साँई में श्रद्धा रख रखेंगे सबूरी
हर मुश्किल हो जाएगी आसान
साँई संग हैं, हम न होंगे परेशान ।।

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