Monday, September 7, 2020

श्री साँई चरण के अँगूठे का ध्यान

*श्री साँई चरण के अँगूठे का ध्यान*

बाबा के अनन्य भक्त , श्री हेमाडपंत जी ने श्री साँई सच्चरित्र महा ग्रन्थ रचा । श्री साँई सच्चरित्र के अध्याय 22 में हेमाडपंत जी , बाबा की भक्ति व ध्यान का एक अति सरल मार्ग बतलाते हैं वह यह हैं कि-
जिस प्रकार शुक्ल पक्ष के आरम्भ होने पर हम चन्द्र का दर्शन करना चाहते हैं तो हम वृक्ष की दो शाखाओं के मध्य से चन्द्र दर्शन करते हैं व चन्द्र दर्शन करके प्रसन्न होते हैं , उसी तरह हमे बाबा के स्वरूप के दर्शन करने चाहिए । जिस स्वरूप में बाबा अपना दायाँ पैर मोड़ कर बैठे हैं तथा दायाँ पैर, बाएं घुटने पर हैं व बाएं हाथ की अंगुलियाँ दाएं पैर पर फैली हुई हैं ।  बाबा की मध्यमा व तर्जनी अंगुली के मध्य से हमें बाबा के अँगूठे का ध्यान करना चाहिए । अगर हम अभिमान त्याग कर, विनम्र होकर बाबा के अंगूठे का ध्यान करेंगे तो हमें बाबा के सत्य स्वरूप के दर्शन होंगे । 


बाबा की आज्ञा व उनकी कृपा से इसी प्रसंग को काव्य रूप में लिखने का प्रयास किया हैं, जिसे बाबा ने स्वयं लिखवाया हैं, उसे यहाँ साझा कर रहा हूँ:-



आनन्द की प्राप्ति हो जाती
जब श्रीचरणों में ध्यान लगाये
हेमाडपंतजी भक्ति व ध्यान का
एक अति सरल मार्ग हमें सुझाये ।।

कृष्ण पक्ष का जब आरम्भ हो
प्रतिदिन चन्द्रकलाये घटे जाये
अमावस्या को चन्द्र विलीन हो
चारो ओर पूर्ण अंधेरा छा जाये ।।

जब शुक्ल पक्ष आरंभ हो
लोग चन्द्रदर्शन करना चाहे
दो शाखाओं के बीच से देखे
तब उन्हें चन्द्रदर्शन हो जाये ।।

ऐसे जब ध्यान से देखें
दूर चन्द्र रेखा दिख जाये
तब चन्द्रदर्शन पाये लोग
उनका मन प्रसन्न हो जाये ।।

दूर क्षितिज पर दिखाई दे
शुक्ल पक्ष की दूज का चाँद
साँई के दर्शन भी ऐसे ही करें
अपनाये हम लोग यही सिद्धांत ।।

चन्द्रदर्शन के सिद्धांत से
देखो साँई के चित्र की ओर
कितना सुंदर साँई स्वरूप हैं
बैठे हैं साँई जी अपने पैर मोड़ ।।

साँईजी अपना दायाँ पैर
बायें घुटने पर रखे जाये
व बायें हाथ की अंगुलियाँ
वे दाहिने चरण पर फैलाये ।।

तर्जनी और मध्यमा अंगुली
दायें पैर के अँगूठे पर फैलाये
दो अंगुली के बीच अंगूठा देखो
इस आकृति से साँई हमें समझाये ।।

साँई दर्शन की इच्छा हो तो
विनम्र बनो, त्यागो अभिमान
दो अंगुलियों के मध्य से करो
उनके चरण के अंगूठे का ध्यान ।।

भक्ति प्राप्त करने का
यह हैं सबसे सुगम पंथ
साँई दर्शन में सफल होंगे
समझाते हमें श्री हेमाडपंत ।।

1 comment:

  1. Can't belieVe that yu being as a doctor yuva write such wonderful lines.unbeluevabLe.
    Sainik kripa tum par yuhi sada barsati reHe.

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