Monday, September 21, 2015

【【 साँई तुम बिन ..मेरा हाल 】】

साँई तुम बिन मेरा ऐसा है हाल
समझो कि जीवन हुआ है बेहाल
ज्यो बिन व्यंजनों के रीति हो थाली
जीवन हुआ जैसे बिन खुशियो के खाली
ज्यो बिन बरसात के हो सावन
बिन कान्हाजी के हो वृन्दावन
ज्यो बिन माँ का हो कोई बच्चा
बिन प्रेम के रिश्ता रह जाये कच्चा
ज्यो कुमकुम बिन हो सुहागन
बिन तुलसी के हो इक आँगन
बिन अर्थ के ज्यो बाते करना
बिन पानी के ज्यो हो इक झरना
ज्यो बिन पुष्पो के हो इक बगिया
ज्यो बिन लक्ष्य बिता दे हम सदियाँ
ज्यो बिन वृक्ष के हो उसकी जड़ मूल
ज्यो बिन शिव शम्भु के हो त्रिशूल
साँई बिन कुछ युही हो जाता है मेरा हाल
मन तन में सुर रहते न रहती कोई ताल
अब बाबा तुम नजरो से न होना इक पल दूर
नही तो जीते जी मर जायेंगे हम साँई हुज़ूर
http://drgauravsai.blogspot.com/

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