Saturday, September 19, 2015

साँई नाम इक खत

खत लिखा है तुझको साँई
लेकर मैंने तेरा ही नाम
सुध बुध न रहती मुझको
याद करता तुझे सुबह शाम
जब खत मिल जाये तुझ को
तो फुर्सत निकाल उसे पढ़ना
खत में दिल है रखा है मैंने
बाबा तुम उससे प्यारी बाते करना
अब तक बड़ा तड़पा तेरे दर्शन को ये
जैसे बिन पँखों के फड़फड़ाये मैना
तुझे देख मुरझाया दिल ये खिलेगा
मिल जायेगा दिल को सुकून और चैना
साँई तेरी मुस्कान देख लगेगा ऐसे
जैसे कल कल करते नदिया का बहना
खत में दिल है रखा और नही लिखा कुछ
बाबा इस राज को राज ही रखना
नही तो दुनिया मुझे तेरा दीवाना कहेगी
और नाम हो जायेगा मेरा करते ना ना
मैं तो ऊँचाइयों से सदा हूँ डरता
बिन नाम कमाए जोडू तुझसे ताना बाना
गर पहचान मिले भी तो मिले तेरे नाम से
मैं तो तेरे ही नाम में चाहूँ जिंदगी बिताना
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