Friday, July 3, 2015

साँई संग डोर

[[[:::: साँई संग डोर ::::]]]

साँई संग जुडी प्रीत की डोर ऐसे
जैसे दूर गगन में पतंग उड़ती धागे संग
साँई तेरे हाथ में ही मेरे जीवन की पतंग
तू ही जीवन में उड़ेले खुशियो के रंग

मैं तो हूँ इक नन्हा सा पँछी
बिन डोर दूर गगन में उड़ता हूँ
दर दर मारा मारा मैं फिरता रहता
अंत में साई चरण में ही प्यास बुझाता हूँ

डोर नही जुडी साँई तुझसे कोई
फिर भी तेरी ओर खींचा चला जाता हूँ
ये भी तेरी लीला का इक हिस्सा है
तभी तेरे चरण में आ सुकून पाता हूँ

सुकून मिले तन मन को मेरे
जब साँई मस्ती में उडु गगन में
मेरी डोर को साईं हाथो में थामे
अपार रहमत बरसे तब जीवन में

डोर साँई से जुडी ऐसी अटूट
जैसे माँ ने थामा बच्चे का हाथ
भले जाऊँ मैं उनसे कितना रूठ
पर साँई करते मुझ पर सदा करामात
http://drgauravsai.blogspot.com/

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