Saturday, April 23, 2016

साँई - सानिध्य

यहाँ भला कौन साथ है निभाता
मरने पर अपने ही हमे जला देते है
तो भूल कर अबसे सब रिश्तों को
आओ साँई नाम में जिंदगी बिताते है

बाबा साँई बूढ़ा फकीर जरूर है ,
पर नही है वो सिर्फ अस्थियो का ढाँचा
वो तो एक आकार है अपार स्नेह का
जिसने हममें माँ तुल्य प्यार है बांटा ।।

कोई पूछे बाबा साँई क्या है !
साँई है स्त्रोत बरसती कृपा का
जरा साँई में सच्चा मन तो लगाओ
फिर कहोगे- " अब गम बचा ही कहाँ "

बाबा साँई तू है चंदन समान
मन में फैला रहा तेरे नाम की गंध
तेरा सानिध्य जबसे मुझको है मिला
मानो मेरा जीवन बन गया खिलता बसंत

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