अपने साँई की बात ऐसी निराली
जैसे सुंदर व्यंजनों से सजी हो थाली
दूर तक व्यंजनों की है महक उठे
वैसे ही साँई शान में नए नए शब्द गढे
हर शब्द में मैंने अपनी जान फूंकी है
अब तो रहम करो साँई दिल बड़ा दुखी है
ये शब्द नही आपको अर्पित फूल है
मुझ नन्हे की सुनो जो आपकी चरण धूल है
श्री साँई कृपा सब पर ऐसे बरसे
कि सबके मुख पर हो साई के चर्चे
लिखा हर शब्द साँई नाम से है निखरे
इन शब्दों में साँई आकर साक्षात् बसे
http://drgauravsai.blogspot.com/
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