साँई नाम है इक शीतल छाया
साँई नाम से रहती निरोगी काया
साँई का गुणगान जिसने है गाया
श्रद्धा सबूरी का धन उसने है पाया
जीवन बने इक शीतल झरना
अगर मैं समझूँ साँई को अपना
सच हो देखा मेरा हर सुंदर सपना
जब ध्येय रखूँ जीवन में साँई साँई जपना
जब जब मुझे साँई की याद आये
शीतल सी हवा कानो में गुनगुनाये
मन में आनन्द की उमंग छा जाये
श्री साई जी ऐसे मुझ नन्हे के मन भाये
ठंडक मिले जीवन में मुझे
अगर बोलूँ मैं शीतल वचन
सबके हृदय में मिश्री घोलूँ
अगर बनके रहूँ मैं सज्जन
जीवन बने इक शीतल छाँव
अगर साँई चरण बने मेरी ठाँव
पथरीली राहे भी न हानि पहुचाये
चाहे भले ही क्यों न चलूँ मैं नंगे पाँव
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