शब्दों की रिमझिम रिमझिम बारिश हो
और उसमे नजर आये श्रद्धा का इंद्रधनुष
और पढ़के होगा अपार हर्ष
जब संग में सबूरी करेगा मानुष
मान ले साईं आज तू मेरा इतना कहना
मैं तो बस चाहु तेरे ही दिल में रहना
बना लू तुझको मैं अपना दिलबर
तभी आएगा मेरे दिल को चैना
चैन को भी चैन न आये
बिन बादल भी आँखों में रैन आये
जब साईं की याद आये
नैन भी मेरे चैन न पाए
मेरे शब्दों के सागर में साईं होकर विराजमान
दे रहे आज हम सब भक्तो को वरदान
कि जीवन में खुश रहो और बनो नेक इन्सान
उंच नीच गरीब अमीर सबको समझो समान
राजा हो या रंक हो सब तेरे दर पर समान
निर्धन हो या सबल हो या निर्धन या धनवान
सबके लिए तो साईं तू ही है भगवान
तेरी रहमत पाने का अधिकार रखे हर इंसान ।।
No comments:
Post a Comment