पालकी के कांधा लगा के
बोलो जय जय साईनाथ
साई नाथ रख दो आज हम सबके
मस्तक पर आपके हज़ारो हाथ
हाँ मैंने आज जन्नत देखी है
शान से निकली राजाधिराज
की रथयात्रा देखी है
साई बैठे है शिर्डी गाँव में
साई बैठे है नीम की छाँव में
करते भक्तो का कल्याण
बाँटते भक्तो को श्रद्धा सबूरी का ज्ञान
आज देखा भक्तो का ताँता
साई की पावन चौखट पर
श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा कि मानो
सबने साई नाम की अमिट स्याह से साई लिख दिया अपने दिल के खत पर
आँखों में नींद है चेहरे पर थकान है
पर मन में साई मिलन की ऐसी प्यास है
कि आज पूरी रात करना साई गुणगान है
साई की शिर्डी स्वर्ग है साई बाबा महान है
साई शरण में जब से मैं आया
दुःख मुझे जरा भी छू न पाया
मेरे चहुँ ओर है बस साई का साया
मैंने साई अनमोल रतन धन है पाया
मन के मेरे विचार है अत्यंत मैले
साई दरबार की जब से छु चौखट
विचार सदविचार बन रहे है हौले हौले
सदगुरु साई ही बन गए मेरे शिव भोले
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