Physics में एक word आता हैं- Frequency (आवृति), और जब Frequency Same हो जाती है तो होता हैं Resonance (अनुनाद) । सरल शब्दों में कहूँ तो जब frequency match हो जाती हैं तो Stability आती हैं । ऐसा ही हैं जीवन के साथ, जीवन मे भला Stability किसे नही चाहिए ।
अब आते हैं प्रश्न पर, तो जब हम साँई भक्त से मिले तो चूंकि वो भी साँई भक्त हैं तो जाहिर हैं हमारे विचारों में कुछ मेल तो होगा तभी हम आपस मे साँई भक्त हैं, हमारे आराध्य एक हैं (बाबा) तो यहाँ हमारी Frequency match हुई तो अनुनाद होना ही हैं अर्थात Stability ,तो हम सभी को Stability चाहिए अर्थात सुख शांति सुकून ।
और इसलिये हमारा व्यवहार साँई भक्त प्रति, अत्यंत लगाव वाला होता हैं परन्तु भगवान को न मानने वाले इंसान के प्रति व्यवहार बदल जाता हैं , उसका कारण हैं कि Frequency complete opposite तो Stability just opposite ,
जिस तरह हम घर मे अपने घरवालों के प्रति लगाव रखते हैं, अच्छा व्यवहार रखते हैं, परन्तु बाहरी व्यक्ति के प्रति हमारा लगाव नही रहता क्योकि हम उसको अपना नही मानते, अपने परिवार को अपना मानते हैं । इसी तरह साँई भक्त को हम एक परिवार मानते हैं, ऐसा परिवार जिसमें सभी साँई भक्त की डोर हमारे बाबा के हाथों में हैं, इसलिए ऐसा होता हैं ।
अब प्रश्न ये उठता हैं कि व्यवहार साँई भक्त व बिना साँई भक्त दोनों के प्रति समान क्यो नही हो सकता ???
तो उत्तर ये हैं कि जिस तरह फलों का राजा केवल एक ही होता हैं, पुष्पो में जैसे केवल एक ही पुष्प श्रेष्ठ होता हैं
उसी तरह मानवों में भी जो श्रेष्ठ होता हैं, वो ही साधु -संत (सज्जन) कहलाता हैं,
इसलिये जिस मनुष्य ने सभी इंसानों प्रति समान आचरण रख लिया, चाहे कोई उस मनुष्य की निंदा करे या प्रशंसा , फिर भी सबके लिये आचरण समान रखते हुए विनम्र भाव अपनाया तो वह मनुष्य श्रेष्ठ कहलाते हुए साधु-संतों की श्रेणी में आ जाता हैं । और श्रेष्ठ का महत्ता तब रहती हैं जब वह संख्या में कम हो तभी तो वह श्रेष्ठ हैं ।
Om Sai Ram 🙏
ReplyDeleteVery true. Frequency match is the perfect answer.
I think you have explained it in very easy manner. Stay always blessed. Om Sairam 🙏