:: ll बाबा के अनन्य भक्त- भाऊ महाराज कुम्भकार ll ::
चैत्र मास की कृष्णपक्ष तृतीया को भाऊ महाराज की पुण्यतिथि होती है । भाऊ महाराज रहने वाले नीमगाँव के थे एवम् जाति से कुम्भकार थे, ये नीमगाँव छोड़ शिर्डी में आ गए थे एवम् जीवनपर्यन्त शिर्डी में रहे , शिर्डी में जहाँ नानावली की समाधि है वही उसके पास ही इन भाऊ महाराज की समाधि है- आप में से अधिकांश लोगो ने इनकी समाधि के दर्शन भी किये होंगे ।
ये जब नीमगाँव से शिर्डी में आकर बस गए तो शनि मन्दिर के पास रहते थे एक बरगद के वृक्ष के नीचे, इनकी बाबा के प्रति भक्ति निस्वार्थ थी, ये भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते थे,
इनके पास एक कंबल था जिसे सदा अपने पास रखते थे एवम् अगर इन्हें कोई धनाढ्य व्यक्ति वस्त्र वस्तु भेंट देता था तो ये उन वस्तुओ वस्त्रो को जरूरतमन्द लोगो में बाँट देते थे ।
ये रोज सुबह से लेकर दोपहर तक शिर्डी की गलियो की सफाई करते थे और अपने कम्बल से ही शिर्डी की सारी गलियो की सफाई किया करते थे , चाहे बारिश हो या तेज धूप इनका सफाई का नियम कभी नही टुटा ,
सुबह जल्दी उठकर बाबा के दर्शनों के ये जाते थे, एवम् बाबा से अकेले में जो वार्ता होती थी वो ये किसी को नही बताते थे । एक बार किसी ने इनसे पुछा तो बहुत प्रयत्न करने पर इन्होंने बताया कि- "बाबा मुझे अपनी भाकरी में से 1/4 हिस्सा देते है और अच्छी प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाते है" ।
जब बाबा ने महासमाधि ले ली थी, उसके पश्चात ये भाऊ महाराज दिन में कई बार बाबा के दर्शनों के लिये बाबा के समाधि मन्दिर जाया करते थे और ये बात किसी को पता नही होती थी- सोचिये बाबा से इनका रिश्ता कितना घनिष्ट होगा तभी तो किसी को पता भी नही होता था और ये बाबा की महासमाधि के दर्शनों को जाते थे तो जरूर ये अकेले में बाबा से पहले की तरह बाते करते होंगे जैसे कि जब बाबा देह में थे तब किया करते थे ।
जब भाऊ महाराज ने अपनी देह त्यागी थी तो उससे 1 सप्ताह पहले से कुछ भी खाना पीना छोड़ दिया था एवम् जब इन्होंने देह त्यागी तब शिर्डी में सब लोग उपस्थित हो गए एवम् गम में डूब गए , और लोगो ने निश्चय कर 12 वे दिन इनके सम्मान में शिर्डी में विशाल भंडारे का आयोजन किया ।
तब से शिर्डी साँई संस्थान हर वर्ष चैत्र मास की तृतीया को इनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाता है एवम् इस दिन हर साल विशाल भंडारे का आयोजन होता है ।
आज भी कई औरते जब इनकी समाधि के दर्शन करती है तो इनकी समाधि से धूल लेकर अपने बच्चों के मस्तक पर लगाती है कि बड़ा होकर हमारा बच्चा भी इनकी तरह ही बनें - सच्चा एवम् निस्वार्थ बाबा का अनन्य भक्त ।
आज भाऊ महाराज की पुण्यतिथि है, भाऊ महाराज को शत् शत् नमन् ।
ॐ श्री साँई राम जी ।
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