आप सभी श्री साँई चरण प्यारों को, भक्त जन न्यारो को मेरा सादर प्रणाम ।
आज का यह लेख बहुत महत्त्वपूर्ण है,आप सभी अवश्य पढ़िये ।
इससे पहले कि मैं मूल बात पर आऊँ, उससे पहले एक बात करना चाह रहा हूँ कि- आखिर में ख़ुशी क्या है !!
हम कोई काम करते है, पैसा कमाते है , इन सबका अंतिम उद्देश्य ख़ुशी ही तो होता है, जैसे मैंने कोई लेख लिखा,आप लोग पढ़े मुझे अच्छा लगा तो मुझे ख़ुशी हुई । एक इंसान ने बिजनेस किया बहुत पैसा कमाया , क्यों !!! , कि लाइफ में सब चीज पा सके , सब चीज पाने से क्या होगा ? - ख़ुशी मिलेगी ।
तो हम जो कुछ भी करते है सब ख़ुशी पाने के लिये ही तो करते है ।
अब हम कुछ कर रहे है और वो करने के बाद भी ख़ुशी नही मिले, आत्म सन्तुष्टि नही मिले तो फिर उस काम का फायदा ही क्या !!
हम सोचते है कि मैं ये कर लूंगा तो ऐसा हो जायेगा और मुझे ख़ुशी मिलेगी ।
परन्तु हम ख़ुशी को पाने के लिये जो कार्य करते है वो कार्य होने पर भी ख़ुशी नही मिलती , आखिर क्यों !!
क्योकि हम ख़ुशी को उच्च स्तर पर आंक लेते है और उस उच्च स्तर को पाने के लिये प्रयास करते है और प्रयास सफल हो जाता है तब भी हमे ख़ुशी नही मिलती, क्योकि खुशियाँ कहि नही वो तो हमारे इर्द गिर्द ही है हमारे स्वयम् में है।
एक बहुत अमीर इंसान बहुत पैसे कमाकर भी रात को चैन की नींद सो नही पाता और एक मजदूर दिन भर काम कर रात को पत्थर पर ही सुकून से सो जाता है - तो खुशियाँ तो हमारे अंदर है बस हमे उनको ढूँढना है । हमारे जीवन में परेशानियाँ आती है और हम घबरा जाते है तो इस कारण जो ख़ुशी के पल उन्हें दरकिनार कर देते है ।
आप जो कार्य करना चाह रहे है उसमे सफल नही हो रहे तो क्या गारण्टी है कि उस कार्य में सफल होने पर आपको ख़ुशी मिल ही जायेगी !
तो ख़ुशी का कोई पैमाना नही है ,वो तो हमारे अंदर ही छुपी हुई है ,तो हमे हर पल खुश रहना सीखना चाहिये, चाहे जीवन में कितना भी मुश्किल समय आये ।
अब आते है मूल बात पर-
" कई बार ऐसा होता है कि हम बाबा में या अपने इष्ट देव में पूर्ण श्रद्धा रखते है एवम् सब्र (धैर्य) भी करते है परन्तु फिर भी हम जो चाहते है वो हमे मिल नही पाता है ,हम मुसीबतों से बाहर निकल नही पाते है, हमे हमारे प्रश्नो के उत्तर मिल नही पाते है ,
और तब एक और प्रश्न सामने आ खड़ा होता है कि - "" आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? ""
तो आइये, इसी सन्दर्भ में चर्चा करते है कि आखिर ऐसा क्यों होता है........
1)- पहली बात - हम जिस चीज के पीछे भाग रहे हो क्या पता वो हमारी मंजिल नही हो !! हमारी श्रद्धा व् सबूरी देख बाबा ने हमे उस चीज से बेहतर चीज देने का सोच रखा हो !, मतलब कि जो चीज हम पाना चाह रहे हो ,बाबा ने हमे उस चीज से बेहतर चीज देने के लिये योजना बना रखी हो, क्या पता !!
उदाहरण के लिये- आदरणीय स्वर्गीय डॉ कलाम सर पहले पायलट बनना चाहते थे, पर पायलट की एग्जाम में फ़ैल हो गए तब उनको लगा कि ये उनकी मंजिल नही है तब वो विज्ञान के क्षेत्र में आये और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक बने और फिर राष्ट्रपति भी और हम सबके रोल मॉडल भी, तो अगर वो उस दिन पायलट बन गए होते तो यहाँ भला मैं कैसे उनका उदाहरण देकर अपनी बात स्पष्ट कर रहा होता ?
2)- बाबा में या अपने इष्ट भगवान में पूरी श्रद्धा व् सब्र रखने पर भी हमारी मुसीबत कम नही होती तब हमे लगता कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, तो एक पहलू ये भी है कि पूर्व जन्म के कार्य ।
श्रीमद्भगवगीता में भी पूर्व जन्म के कर्मो के बारे में बताया गया है कि हमे कर्मो का हिसाब तो करना ही होता है ।
कई बार हम देखते है कि कोई इंसान बुरा है फिर भी वो खुश है उसके पास सब कुछ है और एक इंसान नेक काम करता है मेहनती है और भक्ति भी करता है वो बहुत ही दुःखी है और आये दिन नयी मुसीबतों का सामना करता रहता है तो इन सबके लिये कहि न कहि हमारे पूर्व जन्म के कार्य भी जिम्मेदार होते है ।
इसी से जुडी एक कहानी याद आ रही है जो मैंने कहि किसी धार्मिक पुस्तक में पढ़ी थी कि एक बार एक भक्ति करने वाला, सच्चा, मेहनती लड़का व् एक बुरा,भगवान को गाली देने वाला लड़का,वो दोनों साथ में एक जंगल से गुजर रहे होते है तो जो अच्छा लड़का होता है वो ठोकर खाकर गिर जाता है वही दूसरी ओर बुरे लड़के को रास्ते में सोने की अंगूठी मिलती है तो अच्छा लड़का जब बहुत समय बाद दुनिया छोड़ता है तब भगवान से पूछता कि ऐसा क्यों ! तो भगवान कहते है कि पूर्व जन्म में तू दुष्ट इंसान था और वो बुरा लड़का एक सन्त था , परन्तु तूने इस जन्म में अच्छे कार्य किये इसलिये तेरे पाप कटे , अतः तेरे को सिर्फ मामूली ठोकर ही लगी नही तो तेरे आगे गहरी खाई थी परन्तु इस जन्म में अच्छे कर्म की वजह से तुझे केवल मामूली ठोकर लग कर रही गयी
और जो बुरा लड़का है वो पिछले जन्म में सन्त था तो उसे सोने का घड़ा मिलने वाला था परन्तु इस जन्म में उसके कर्म बुरे है इसलिए उसे केवल अंगूठी मिल कर रह गयी ।
तो ये है कर्मो का महत्त्व , अर्थात अगर हम बुरे कर्म करेंगे तो हमें भुगतने तो पड़ेंगे ही और उस जन्म में नही तो अगले जन्म में परन्तु हाँ हम अच्छे कर्मो द्वारा बुरे कर्मो का हिसाब कम भुगतना पड़ता है ।
अब इसी क्रम में हम आगे बढ़ते है -
3)- हमारे जीवन में भाग्य और हमारे कर्म का बहुत बड़ा रोल होता है ।
आपकी बाबा प्रति भक्ति भी कर्म ही है, धैर्य रखे रहना भी कर्म ही है।
तो भाग्य और कर्म मिलाकर मिलती है सफलता ,
अर्थात भाग्य+कर्म= 100% (सफलता)
अब किसी इंसान के जीवन में भाग्य का हिस्सा ज्यादा होता है तो किसी के जीवन में कर्म का
जैसे कि उदाहरण के लिये , एक इंसान है उसके लिये भगवान ने तय किया हुआ है कि अगर ये 10% कर्म करे और इसका भाग्य 90% है तो मिलाकर 100% होगा ,तो भाग्य तो फिक्स होता है अब कर्म हमारे हाथो में है तो अगर वो इंसान 10% से कम कर्म करता है तो वो सफल नही हो पायेगा ।
उसी तरह किसी इंसान का भाग्य 10% ही है और कर्म का हिस्सा है 90% तो भाग्य तो फिक्स है परन्तु कर्म अगर उसने 90% किया तो वो सफल है
ये % तो यूही है, % के माध्यम से भाग्य व् कर्म के सम्बन्ध में समझाने का प्रयास किया है मैंने ।
अब हमारे जीवन में भाग्य कितने प्रतिशत है ये तो हमे ज्ञात नही तो हमे बिन रूके कर्म करते रहना है और साँई प्रति श्रद्धा भी कर्म ही है , और हम जीवन में कर्म करते रहते है बिन रूके तब भी सफल नही हो पा रहे है तो क्या पता हमने कर्म उतना किया ही नही हो जितनी जरूरत हो !!
अब सफल होने के लिये कर्म किसी को ज्यादा किसी को कम क्यों करना पड़ता है !!?
क्योंकि ये सब निर्भर करता है पूर्व जन्म में किये हमारे कर्मो पर कि कर्म हमारे कैसे थे अच्छे या बुरे !!?
4)- हम बाबा में अटूट श्रद्धा रखते है व् सब्र करते है व जीवन में नेक काम करते है लोगो की मदद करते है तो यकीनन हम बाबा के और करीब आ जाते है ।
तो एक बात सोचिये कि घर में पिता जी है और घर में कोई मेहमान आया हुआ है तो आपके पिता जी कोई भी कार्य के लिये आपको कहेंगे या मेहमान को ?
घर में वो मेहमान कुछ दिन रूके , और एक दिन खाने में स्वीट्स मंगवाई गयी बाहर से और वो कम पड़ जाये तो पिता जी आपको ही तो कहेंगे ना कि बेटा ये मिठाई मेहमान को खिला देते है, तू बिन खाये रह ले ।
उसी तरह बाबा से हमारा सम्बन्ध है , बाबा के हम करीब आ गए तो कोई भी परेशानी वाला कार्य होगा वो काम बाबा हम पर ही डालेंगे क्योकि हम उनके अपने है ,और दुनिया में सुख+दुःख मिलाकर संतुलन में रहते है तो बाबा किसी इंसान के हिस्से में सुख देने के लिये उसके हिस्से का दुःख उस इंसान को देते है जो उनके सबसे करीब है,जैसा कि ऊपर पिता, पुत्र व् मिठाई के सम्बन्ध में है ।
क्योंकि बाबा जानते है कि हम मन से काफी स्ट्रांग है, हर मुश्किल का सामना कर सकते है इसलिये बाबा ने हमे किसी इंसान को सुख देने के लिये उसके हिस्से के दुःख हमे दे दिए है क्योकि बाबा को हम पर भरोसा है कि हम दुःखो को हंसते हंसते झेल लेंगे और बाबा से शिकायत नही करेंगे ।।
और अगर हम बाबा से रूठ भी जाये तो बाबा स्वयम् हमे मनाता है, जैसे कि घर में पिता ने हमे सारा काम करने को बोल दिया, पिता ने हमे डाँट दिया, तो हम पिता से नाराज होकर बैठ जाते है तब पिता हमे स्वयम् मनाने आते है एवम् प्यार से बात करते है लाड करते है और हमारे मानते ही हमे फिर जिम्मेदारी देकर कहते है कि ये कार्य भी करने है तुमको ।
उसी तरह बाबा जो कि हमारे पिता तुल्य है, उनसे अगर हम रूठ जाये तो हमे विभिन्न संकेतो से मनाने का प्रयास करते है जैसे कि हम रूठ जायेंगे तो बाबा शिर्डी में किसी आरती समय हमारा पसंदीदा कलर के वस्त्र धारण कर लेंगे या हमारा छोटा मोटा कार्य पूर्ण कर देंगे या हमे अपनी लीला दिखा देंगे और जैसे ही हमारा रूठना खत्म हुआ तो बाबा हमे फिर से नई जिम्मेदारी दे देंगे ।।
तो अगर आप बाबा में पूर्ण श्रद्धा रखे हुए है एवम् सब्र किये हुए है व् फिर भी जीवन में मुसीबतों का सामना कर रहे है तो अपनी श्रद्धा व् सब्र का क्रम नही टूटने दीजिये एवम् सोचिये कि बाबा में श्रद्धा है तभी मुसीबत कम है नही तो मुसीबत इससे भी ज्यादा हो सकती थी , और साथ में ये भी सोचिये कि बाबा मुझे अपने करीब समझते है इसलिए ही बाबा ने मुझे मुसीबत देकर मेरे हिस्से की ख़ुशी किसी जरूरतमन्द को दे दी ताकि उसको खुशियाँ मिले और बाबा को लगता होगा कि मैं तो स्ट्रांग हूँ इन मुसीबतों का सामना कर ही लूँगा ।
अगर आप ऐसा सोचकर मुश्किल समय में भी सकारात्मक बनते हुए बाबा के प्रति विश्वास को डगमगाने नही देंगे तो यकीनन आपका बाबा से रिश्ता और मजबूत होगा एवम् आपमें आपके मुश्किल समय से लड़ने का जज्बा कायम होगा ।
तो बस साँई प्रति अपनी आस्था मत डगमगाने दो और धैर्य रखो रहो, सब अच्छा होगा ।
ॐ श्री साँई राम जी।
om sai ram
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