:: ll श्री साँई अमृततुल्य सुवचन ll :
" मुझे प्रवेश करने के लिए किसी विशेष द्घार की आवश्यकता नहीं है । न मेरा कोई रुप ही है और न कोई अन्त ही । मैं सदैव सर्वभूतों में व्याप्त हूँ । जो मुझ पर विश्वास रखकर सतत मेरा ही चिन्तन करता है, उसके सब कार्य मैं स्वयं ही करता हूँ और अन्त में उसे श्रेण्ठ गति देता हूँ "- Baba Sai .
(श्री साँई सच्चरित्र से उद्धृत)
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