Saturday, January 16, 2016

सुनो पुकार.....हे साँई

घबराया मन और टूटती साँसे
बिखरे लफ़्ज और गम के साये
कुछ यूह हो गया है मेरा हाल
अपनी पहचान खो रहा हूँ अब मैं
लग रहा कि नजदीक मेरा मृत्यु काल
बाबा साँई तुम ही मेरे परम् सखा हो
तुमको माना है मैंने अपना संसार
अब देर न लगाओ आने में प्रभु
इस मुश्किल भरे जीवन से गया मैं हार
बाबा साँई तुमने सदा मुझे सम्भाला है
तुम्हारी लीलाओ का है मुझे इतंजार
फिर से कोई लीला रच दो तुम कि
दुःख भरे जीवन में लौटे फिर से बहार

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