••••••••••••साँई से रिश्ता••••••••••••
जग में साँई से रिश्ता है अपना
बाकि थोथे है सब रिश्ते व्यवहार
तो क्यों न साँई से ऐसे रिश्ता जोड़े
कि पल में भूले हम ये सारा संसार
साँई हमे अपने चरणों में स्थान देकर
करे हम बच्चों पर इक बड़ा उपकार
साँई नाम से हम मन बगिया को सजाये
और हमारी रसना करती रहे साँई की जयकार
बाबा के हम न कोई बड़े ही भक्त
नही जानते भक्ति का कोई प्रकार
बस साँई साँई रटता आता है हमे
साँई नाम ही है हमारा जीवन सार
न ही अर्पण करने को हमारे पास कुछ
बस अर्पण करते है हम अश्रुओं का हार
यकीन है कि बाबा हमारा भाव देखेंगे
और करेंगे उन अश्रुओं को स्वीकार
अब इस जिंदगी में बचे हो सौ साल
या चाहे भले बचे हो अब दिन चार
हर पल साँई की बातो में बिताएंगे
गाकर बाबा साँई की लीलाएँ अपरम्पार
http://drgauravsai.blogspot.com/
Sunday, January 10, 2016
साँई से रिश्ता
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