Wednesday, October 7, 2015

तुम ही तुम बाबा

तुम सुबह की पहली किरण
बाबा तुम ही हो दिन की धूप
तुम ही राम सरीखे अति विनम्र
बाबा तुम ही हो कान्हा का स्वरूप ।

तुम सावन में उमड़ती बादल की घटा
बाबा तुम ही हो सावन की पहली बरसात
तुम ही हो ममतामई प्यार लुटाती माँ
बाबा तुम ही ऊँगली पकड़े हुए मेरे तात् ।

तुम ही बगिया में खिलती हुई तुलसी
बाबा तुम ही तो हो सुगन्धित चन्दन
तुम ही कृष्ण कन्हैया की द्वारका नगरी
बाबा तुम ही हो नन्हे कान्हा का वृन्दावन ।

तुम ही विराजे हुए हो मन्दिर मस्जिद
बाबा तुममे ही तो है गीता वेद कुरान
तुम ही मुझ नन्हे पँछी की लेखनी हो
बाबा तुमसे ही है मुझ गौरव की पहचान ।।

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