Saturday, October 3, 2015

साँई शरण ही हमारा ध्येय

बाबा साँई की शरण ही हम साँई चरण प्रेमियो का मुख्य ध्येय होना चाहिये
क्योकि साँई चरण ही हमारा जीवन है और अंत में साँई में मिल जाना है
अत साँई से हम कितना भी दूर रह ले अंत में उनकी गोद में ही आना होता है

एक उदाहरण से अपनी इस बात को रखने का प्रयास कर रहा हूँ :-

एक बूँद सागर के पास जाती है तो कहती है कि
"मैं तुममे नही मिलना चाहती , तुममे मिलते ही मेरा खुद का वजूद नही रहेगा
मैं अकेले ही रहना चाहती हूँ स्वतन्त्र रूप में ताकि मेरा अस्तित्व बना रहे ।"

सागर ने कहा:- " बच्ची मैं तुम जैसे असंख्य बूंदों से मिलकर बना हूँ
तुम मुझमे मिलोगी तो तुम्हारा अस्तित्व खत्म नही होगा यकीनन तुम्हारा कद बढ़ेगा और अस्तित्व भी "

इसी बीच सूर्य की तपन से बूँद वाष्प बनकर उड़ गयी और बारिश की बूँद बन गयी
और बारिश की बूँद बनने के बाद फिर सागर के पास आना पड़ा
तब सागर ने फिर कहा कि -देखो बच्ची तुम्हे फिर मेरे पास आना पड़ा ना
अब आया समझ में कि तुमको अंतत आना मेरे पास ही है क्योकि तुम्हारा उद्भव मुझ ही से हुआ है और मुझ में ही तुमको मिलना है , तभी तुम्हे सुकून और चैन मिलेगा ।

ठीक इसी तरह साँई की ही गोद में हम सभी असंख्य बूंदे रूपी साँई चरण प्रेमियो को सन्तोष मिलेगा

और हमारा उद्भव साँई जी से है और हमे उन्ही में मिलना है
तो क्यों न जीवन को साँईमय कर दे ?
http://drgauravsai.blogspot.com/

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