मैं इक अँधा बन्दा हूँ आपका
साँई दिखाओ मुझे सही राह
और नही चाह जीवन में कुछ
बस आपकी लीलाएँ देखूँ अथाह
बाबा साँई तू है अथाह सागर
मैं हूँ नदियाँ की अल्हड़ धारा
आखिर में तुझमे ही आ मिलता
भला तेरे बिन कहाँ जाये ये बेचारा
बेचारा लाचार सा था मैं तब तक
साँई जब तक ना तुझसे था मिला
तुझसे मिल जिंदगी मेरी बन गयी
साँई अब इस जिंदगी से न कोई गिला
बिन माँगे तू सब कुछ दे देता
सबकी झोलियाँ तू देता हैं भर
हमारे चेहरे पर मुस्कान हैं रहती