साँई तुम बिन मेरा ऐसा है हाल
समझो कि जीवन हुआ है बेहाल
ज्यो बिन व्यंजनों के रीति हो थाली
जीवन हुआ जैसे बिन खुशियो के खाली
ज्यो बिन बरसात के हो सावन
बिन कान्हाजी के हो वृन्दावन
ज्यो बिन माँ का हो कोई बच्चा
बिन प्रेम के रिश्ता रह जाये कच्चा
ज्यो कुमकुम बिन हो सुहागन
बिन तुलसी के हो इक आँगन
बिन अर्थ के ज्यो बाते करना
बिन पानी के ज्यो हो इक झरना
ज्यो बिन पुष्पो के हो इक बगिया
ज्यो बिन लक्ष्य बिता दे हम सदियाँ
ज्यो बिन वृक्ष के हो उसकी जड़ मूल
ज्यो बिन शिव शम्भु के हो त्रिशूल
साँई बिन कुछ युही हो जाता है मेरा हाल
मन तन में सुर रहते न रहती कोई ताल
अब बाबा तुम नजरो से न होना इक पल दूर
नही तो जीते जी मर जायेंगे हम साँई हुज़ूर
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Monday, September 21, 2015
【【 साँई तुम बिन ..मेरा हाल 】】
Saturday, September 19, 2015
साँई नाम इक खत
खत लिखा है तुझको साँई
लेकर मैंने तेरा ही नाम
सुध बुध न रहती मुझको
याद करता तुझे सुबह शाम
जब खत मिल जाये तुझ को
तो फुर्सत निकाल उसे पढ़ना
खत में दिल है रखा है मैंने
बाबा तुम उससे प्यारी बाते करना
अब तक बड़ा तड़पा तेरे दर्शन को ये
जैसे बिन पँखों के फड़फड़ाये मैना
तुझे देख मुरझाया दिल ये खिलेगा
मिल जायेगा दिल को सुकून और चैना
साँई तेरी मुस्कान देख लगेगा ऐसे
जैसे कल कल करते नदिया का बहना
खत में दिल है रखा और नही लिखा कुछ
बाबा इस राज को राज ही रखना
नही तो दुनिया मुझे तेरा दीवाना कहेगी
और नाम हो जायेगा मेरा करते ना ना
मैं तो ऊँचाइयों से सदा हूँ डरता
बिन नाम कमाए जोडू तुझसे ताना बाना
गर पहचान मिले भी तो मिले तेरे नाम से
मैं तो तेरे ही नाम में चाहूँ जिंदगी बिताना
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जिंदगी...- साँई के नाम
【【 ये जिन्दगी..- साँई के नाम】】
मेरा न कोई किस्सा है
न ही मेरी कोई कहानी है
टूटे फूटे से शब्द है मेरे
कागा सी मेरी ये वाणी है
साँई चरणों में जीवन बिताऊँ
ये मुझ अदने पंछी ने ठानी है
साँई की दी हुई ये जिन्दगी
अब उन्ही साँई के नाम है
साँई का गुणगान करे साँसे
यही इन सांसों का काम है
जग में साँई का गौरव रहे सदा
नित दिन बढ़ती रहे साँई की शान है
साँई चरणों का मैं तो इक नन्हा पँछी
साँई नाम से मुझ नन्हे पँछी की पहचान है
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